जिस मिट्टी में जीवा पाया जहाँ की धूल में बचपन फूल की भांति खिलता रहा जिस वातावरण और सुगंध ने मन को अब तक नीरस नहीं होने दिया उसे कैसे भुलाया जा सकता है | अतीत को भूलना कठिन है | जो लोग उसे भूल जाते है उनका वर्त्तमान एवं भविष्य भी कुछ नहीं रह जाता | इस तरह के लोग जीवन में कुछ भी नहीं कर सकते | अपने देश धर्म से बिछुड़ा हुआ आदमी केवल जीवित रह सकता है।
अजीत झा
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