आज का विचार

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

रविवार, 14 फ़रवरी 2010

हम जहाँ बेबस है, वहीं फिसलन ज्यादा होती है. अँधेरे रास्ते   पर हर कदम मजबूती से पड़ना चाहिए. बुरी घड़ी कई तरह से भयावह बन कर आती है और देर तक ठहरने लगती है, मगर बुरी से बुरी परिस्थिति भी कभी स्थायी नहीं होती है.

अजीत झा

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