आज का विचार

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

ग़ालिब

क्या आदमी था ग़ालिब फाका मस्ती में दिन गुज्ररे पर अफ़सोस नहीं उम्दा गजले शेर लिखते रहे ग़ालिब को मेरा सलाम ।

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