भाषा वैभव
राष्ट्रभाषा हिंदी को समर्पित "अजीत" का एक प्रयास
आज का विचार
जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
बुधवार, 17 फ़रवरी 2010
निष्ठा- अजीत कुमार झा
उसको कोई छोड़ दे कैसे
जो संकट का साथी हो
निष्ठा न रहे जीवन में तो
व्यर्थ भोग सुखो का होता है
सुख कि चाह में समझौता न करना
कभी सिद्धांत और निष्ठा से
विपरीत परिस्थिति में ही होती है
अग्निपरीक्षा निष्ठावान की
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