राष्ट्रभाषा हिंदी को समर्पित "अजीत" का एक प्रयास
जिंदगी के सफ़र में हर इन्सान
खुसी की तलाश में रहता हैं
इस बझे से वोह अनजाने में
हज़ार गमो को अपनाता हैं
जीना है तो खुल कर जियो
खुसी और गम का हिसाब क्यों करते हो
जो मिले उसी को अपनी तकदीर समझो
फिर देखो गम कैसे खुसी में बदलता है
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