आज का विचार

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

ज़िन्दगी

जिंदगी के सफ़र में हर इन्सान

खुसी की तलाश में रहता हैं

इस बझे से वोह अनजाने में

हज़ार गमो को अपनाता हैं

जीना है तो खुल कर जियो

खुसी और गम का हिसाब क्यों करते हो

जो मिले उसी को अपनी तकदीर समझो

फिर देखो गम कैसे खुसी में बदलता है

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