जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
रविवार, 14 फ़रवरी 2010
रूप होने पर कुरूपता का भय धन होने पर गरीबी का भय गुण होने पर दोष का भय ज्ञान होने पर अज्ञान का भय पाकर खोने का भय जिसके पास कुछ नहीं है उसे किस बात का भय इस जीवन रुपी नैया को खेते हुए एक दिन भगवन के घर चला जाना है / मनुष्य का अंतिम स्थान तो उसी के पास है.
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