भाषा वैभव
राष्ट्रभाषा हिंदी को समर्पित "अजीत" का एक प्रयास
आज का विचार
जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
बुधवार, 24 फ़रवरी 2010
अगर कोई आपका दिल दुखाये तो उसका बुरा मत मानना
क्यूकि यह कुदरत का नियम है की जिस पेड़ पर सबसे ज्यादा मीठे फल होते है
उसीको को ज्यादा पत्थर लगते है
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