राष्ट्रभाषा हिंदी को समर्पित "अजीत" का एक प्रयास
पेट के लिए पहले जन्मभूमि छोड़ी
उसी पेट ने अब कर्मभूमि छुड़ाई
पहले तो घर परिवार खेत खलिहान बेगाने लागे
अब उसी को अपनाने को भागे
समय चक्र तो यही है भैया
हाॅल माॅल हैं बंद
घर का खाना आया पसंद
अजीत कुमार झा
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