पेट के लिए पहले जन्मभूमि छोड़ी
उसी पेट ने अब कर्मभूमि छुड़ाई
पहले तो घर परिवार खेत खलिहान बेगाने लागे
अब उसी को अपनाने को भागे
समय चक्र तो यही है भैया
हाॅल माॅल हैं बंद
घर का खाना आया पसंद
अजीत कुमार झा
घर जाने की आस लगाए
बैठे हैं कर्मयोगी
तुच्छ राजनीति की चक्की में
पिस कर हो गये ये वियोगी।
धूप में नंगे पांव चलते
प्रवासी मजदूरों का रैला
बाहर गर्मी का प्रकोप
भीतर धधकती क्षुधा की ज्वाला।
कहते है नौनिहालों को
जो भारत का भविष्य
टीवी चैनलों के कमरों में बैठ कर
डिबेट द्वारा तय करते वो देश की तकदीर।
संविधान के विभिन्न पहलुओं का
क्यों न फिर से हो निरीक्षण
संघ राज्य व समवर्ती सूचियों का
एक बार फिर से हो परीक्षण ।
रेल की तरह सड़क परिवहन भी हो अब
संघ सरकार के संग
साथ ही इसके शिक्षा स्वास्थ्य भी हो
भारत सरकार का ही अंग।
प्रदेशों की कलुषित राजनीति का दर्द झेलती जनता
माखौल उड़ाते आरोप प्रत्यारोप कर एसी में बैठें नेता।
अजीत कुमार झा
आजादी के महोत्सव का हमको है ज्ञान
वसुधैव कुटुंबकम् का भारतीय मंत्र सबका करें कल्याण । ।
वीर भोग्या वसुंधरा भारत माता का यह पर्व महान
तिनके तिनके का भी होता है भारत भूमि पर सम्मान। ।
गाँधी तिलक गोखले भारत माता के लाल
आजादी के ये दीवाने न्योछावर कर दिए अपना मस्तक भाल।।
आजाद सुभाष बिस्मिल से सुशोभित यह धरती हमारी
भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु अंग्रेजों पर हो गये हावी।।
अंग्रेजों की कुण्ठा पर राष्ट्रभक्तों की जीजिविषा पर गई भारी
यायावर हो आक्रांता भागे छोड़ देश हमारी।।
१५ अगस्त केवल उत्सव नहीं, कर्तव्यों का है विधान
स्वच्छ स्वस्थ्य समृद्ध भारत का करता है आह्वान
सामाजिक समरसता का रखना है हमें ध्यान
हम सबको मिलकर करना है श्रेष्ठ भारत निर्माण। ।
अजीत कुमार झा