आज का विचार

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

आह्वान


आइए अपनी भाषा और देवभाषा का सम्मान करे । संकल्प ले कि  हिंदी को सरताज बनायेंगे । 

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