भाषा वैभव
राष्ट्रभाषा हिंदी को समर्पित "अजीत" का एक प्रयास
आज का विचार
जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
मंगलवार, 9 मार्च 2010
सरस्वती वंदना
या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता
या वीणा वर दंडमंडित करा या श्वेत पद्मासना
या ब्रह्मच्युत शंकर
प्रभिती
देवी सदा वन्दिता
सा माम पातु सरस्वती भगवती निशेश्य जाड्या पहा
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