आज का विचार

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

शनिवार, 13 मार्च 2010

मोम का उत्तर

जलती हुई बत्ती ने एक दिन मोम से पूछा कि एक बात बताओ - जल तो मै रही हूँ, तुम क्यों पिघल रहे हो तो मोम ने जबाब दिया कि जिसे मैंने अपने आप में बसा रखा है उसे जलते देख कार दुःख तो होगा ही |

गुरुवार, 11 मार्च 2010

फिर क्या होगा उसके बाद ?- बालकृष्ण राव

फिर  क्या  होगा   उसके  बाद ?
उत्सुक  हो  कार  शिशु  ने  पूछा,
'माँ , क्या  होगा  उसके  बाद ??'

रवि  से  उज्जवल , शशि  से  सुन्दर 
नव -किसलय  दल  से  कोमलतर 
वधु  तुम्हारे  घर  आएगी 
उस  विवाह  उत्सव  के  बाद
पल  भर  मुख  पर  स्मृति रेखा 
खेल  गयी  फिर  माँ  ने  देखा 

फिर  नभ  से  नक्षत्र  मनोहर 
स्वर्ग  लोक  से  उतर  उतर  कर
तेरे  शिशु  बनने     को  मेरे 
घर  आयेंगे  उसके  बाद

मेरे  नए  खिलौने  लेकर  
चले  न  जाएँ  वे  अपने  घर
चिंतित  हो  कर  उठा , किन्तु  फिर
पूछा  शिशु  ने  उसके  बाद  ?

अब  माँ  का  जी  ऊब  चुका  था
हर्ष  श्रांति  में  डूब  चुका  था
बोली  फिर  मै  बूढी  हो  कर
मर  जाऊंगी  उसके  बाद  

ये  सुन  कर  भर  आये  लोचन 
किन्तु  पोंछ  कर   उन्हें  उसी  क्षण 
सहज  कौतुहल  से  फिर  शिशु  ने  पूछा ,
माँ  क्या  होगा  उसके  बाद

कवि  को  बालक  ने  सिखलाया 
सुख  दुःख  है  पल  भर  की  माया 
है  अनंत  तत्व   का  प्रश्न  ये 
फिर  क्या  होगा  उसके  बाद ...??  

मंगलवार, 9 मार्च 2010

विष्णु स्तुति

शांताकारम भुजगशयनम पद्यनाभम् सुरेशम् । विश्‍वाधारं गगन सदृसं मेघवर्णम् शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांतम् कमलनयनम् योगीभर्ध्यानगम्यम । वंदे विष्णूम भवभयहरम सर्वलोकैय नाथम ॥

सरस्वती वंदना

या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता

या वीणा वर दंडमंडित करा या श्वेत पद्मासना
या ब्रह्मच्युत शंकर प्रभिती  देवी सदा वन्दिता
सा माम  पातु सरस्वती भगवती निशेश्य जाड्या पहा

शनिवार, 6 मार्च 2010

छायाचित्र

१२ फरवरी २०१० को रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन के डेसीडॉक प्रयोगशाला  द्वारा आयोजित अखिल भारतीय वैज्ञानिक एवं तकनीकी संगोष्टी में प्रस्तुत आलेख " हिंदी के जन भाषा से विश्व भाषा की ओर बढते कदम" के कुछ छायाचित्र 


सोमवार, 1 मार्च 2010

सादे रंग को गलती से आप ना कोरा समझो,

इसी में समाये इन्द्रधनुषी सातों रंग,

जो दिखे आपको ज़िन्दगी सादगी भरी किसी की,

तो आप यूँ समझो सतरंगी है दुनिया उसीकी,

होली आई सतरंगी रंगों की बौछार लायी,

ढेर सारी  मिठाई और मीठा मीठा प्यार लायी,

आप की ज़िन्दगी हो मीठे प्यार और खुशियों से भरी,

जिसमे समाये सातों रंग यही शुभकामना है हमारी

अजीत

होली है

जीवन में रंगों के मायने

मानव जीवन प्रकृति की दी गयी अनमोल देन है और हमारा संपूर्ण जीवन विभिन्न रंगों के परस्पर सामंजस्य से सराबोर होता है | होली एक ऐसा ही त्यौहार है जिसमे मानव जीवन के विभिन्न रंगों का समवेश होता है और प्रत्येक रंग अपने अर्थ की व्याख्या करते है |
रंगों को धारण करना वास्तव में प्रकृति से जुड़ना है |
पीला और वसंती रंग एक ओर जहाँ हमें वसंत के फूलो से तदात्य्म बनाने में सहायक होता है तो हरा रंग हरी हरी पत्तियों से | नीला रंग आसमान का प्रतिक होता है तो लाल रंग सुबह शाम की लालिमा को दर्शाता है |

होली की शुभकामनाये
अजीत झा