आज का विचार

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

संपत्ति दो प्रकार से अर्जित की जाती है । एक जो विरासत में मिलती है और दूसरी जो खुद से अर्जित की जाती है । अर्जित की हुई संपत्ति का इतना भी गुमान नहीं होना चाहिए कि विरासत में मिली संपत्ति का तिरस्कार कर दिया जाय । ठीक इसी प्रकार हिंदी हमारी विरासत की संपत्ति है और अंग्रेजी अर्जित संपत्ति । अंग्रेजी के लिए हमें हिंदी का तिरस्कार नहीं करना चाहिए।

अजीत झा 

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