जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014
सभी कार्य फायदे के लिए ही नहीं किये जाते, नुकसान न हो इसलिए भी कुछ कार्य किये जाते है।
अजीत कुमार झा
माफ़ी एक ऐसी औषधि है, जो गहराई तक जा कर भावनात्मक घावों का इलाज करती है।
अजीत कुमार झा
वर्त्तमान चाहे कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, उसमें कुछ न कुछ शानदार अवश्य ही छिपा रहता है।
अजीत कुमार झा
हमारी हिंदी
अजीत कुमार झा
अलंकारों छंदों से शोभित हिंदी राजकुमारी लिखे अगर हिंदी में पाती वाह वाह करती दुनिया सारी । निज भाषा के माधुर्य पर न्योछावर भारतवासी अंग्रेजी के अमर बेल में कहाँ ये सुविधा सारी । भाव विचारों के अभिव्यक्ति में हिंदी है सिरमौर अंग्रेजी इक बैशाखी है, जिसका नहीं कोई ऒर छोर । आ गया अब वह समय जब हिंदी को बचाना होगा ममी को माँ और डेड को पिताजी बनाना होगा । सर के मोह जाल से मुक्त हो गुरूजी को अपनाना होगा सिस्टर की शिष्टता से निकल बहन को पास बिठाना होगा । मालवीय भारतेन्दु के हिंदी की लाज बचानी होगी समय आज आ गया है 'अजीत' हिंदी को भारत की बिंदी बनानी होगी ।