जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
शुक्रवार, 2 अगस्त 2013
राम और राम नाम में तुलना
१. राम का नाम ले कर हनुमानजी सागर लाँघ लंका पहुँच गए परंतु रामजी को लंका जाने के लिए समुद्र पर पुल बनाना पड़ा २. राम नाम लिखा पत्थर पानी में तैरता है परन्तु जिस पत्थर को स्वयं रामजी ने पानी में डाला वह डूब गया।
चिंता मिटाने की अचूक औषधि
चिंतन करे
गुरुवार, 16 मई 2013
नदियाँ चिर काल से सतत गति से बहती हुए सागर से केवल इस आस में मिलती है कि एक न एक दिन मैं सागर के खारे जल को मीठा बना दूँगी । तात्पर्य यह है कि नदी अपने मृदुल और मिठास युक्त स्वभाव को असंभव परिस्थिति में भी नहीं छोड़ती है । अजीत झा