रूप होने पर कुरूपता का भय
धन होने पर गरीबी का भय
गुण होने पर दोष का भय
ज्ञान होने पर अज्ञान का भय
पाकर खोने का भय
जिसके पास कुछ नहीं है उसे किस बात का भय
इस जीवन रुपी नैया को खेते हुए एक दिन भगवन के घर चला जाना है / मनुष्य का अंतिम स्थान तो उसी के पास है.
धन होने पर गरीबी का भय
गुण होने पर दोष का भय
ज्ञान होने पर अज्ञान का भय
पाकर खोने का भय
जिसके पास कुछ नहीं है उसे किस बात का भय
इस जीवन रुपी नैया को खेते हुए एक दिन भगवन के घर चला जाना है / मनुष्य का अंतिम स्थान तो उसी के पास है.
अजीत झा