जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं
गुरुवार, 6 सितंबर 2012
संवाद करें
अटकलें न लगाये । सवाल पूछने की हिम्मत जुटायें और सामने वाले को बताएं कि वास्तव में आप क्या चाहते है । ग़लतफ़हमियों से बचने के लिए दूसरों के साथ संवाद करें । अजीत झा
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