आज का विचार

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमे रसधार नहीं वो ह्रदय नहीं वह पत्थर है, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं

बुधवार, 25 अगस्त 2010

कागज़

कागज़ 
जहाँ कोई नहीं होता 
दर्द बाटने के लिए 
जहाँ किसी को
कोई फर्क नहीं पड़ता 
किसी के गम से 
ऐसे में जरुरी है 
अपने आप ही 
आसुओ का बह जाना 
क्योकि जहर बन जाते आंसू 
जब दर्द की परत जमती है 
इसलिये, उससे पहले जरुरी  है 
दिल का हल्का होना 
कोरा कागज, मेरा साथी,
लो बोलने लगा,
दिल की आवाज को,
रोने लगा कागज भी,
दर्द की आवाज से,
कभी असफलताओ के दर्द से,
कभी निराशा की पीड़ा से,
बहुत सहनशील होते है,
ये कागज,
जो चुपचाप, सहज ही,
समेटते जाते है,
जिन्दगी की यादो को,
कभी सुनहरी, तो कभी पथरीली,
राहो का सहारा बनकर,
और उस हद तक साथ देते है,
जहाँ अपने सभी साथ छोड़ देते है,
तभी तो, मेरे-अपने,
अपने है ये कागज 

गुरुवार, 19 अगस्त 2010

तुलसी जयंती पर विशेष

तुलसी जयंती पर विशेष 
(श्रावण सुक्ल सप्तमी)
धन्य... धन्य अति पावन राजा पुर की भूमि 
जिसकी रज ने संत - चरण रेखाएँ चूमी
भारतवर्ष विशाल धन्य, जहाँ जन्म लिया है
काशी स्थल है धन्य जहाँ गुण- मर्म पिया है
चरणों पे कुछ फूल चढ़ाऊ  साज सवारी
धन्य हो तुलसीदास जयंती आज तुम्हारी
भक्त शिरोमणि महाकवि जन-जन के प्यारे
भारतीय संस्कृति के जग-मग चाँद सितारे
तेरी प्रतिभा और साधना दय्न्य भाव ने
ज्ञान, भक्ति, अनुभूति, कला, गुण मय स्भाव ने 
आज जगा दी सात्विक श्रदा बुधि हमारी 
धन्य हो तुलसीदास... जयंती तुम्हारी 
जाति धर्म के दवेष अरु वातावरण विषैले
जो फैले सब और हुए जिनसे मन मैले
शैव-शाक्त-वैष्णव विरोध, जो फूट चुके थे
सूत्र एकता के, समान के.... टूट चुके थे
अमृत्मई वाणी से सबकी दशा सुधारी
धन्य हो तुलसीदास जयंती आज तुम्हारी
धन ओर यश के हेतू काव्य- रचनाए होती
(जो) सामजिक विदेवेश विषमता का विष बोती
(किन्तु) मानस ग्रन्थ अपूर्व लोक नायक तुलसी का
जिससे अमर हुआ सपूत माता हुलसी का
हुए सुबुध-सुशिक्षित भारत के नर नारी
धन्य हो तुलसीदस... जयंती आज तुम्हारी
दुर्दमनीय दानवो की स्वछंद लालसा
और विकराल, भयंकर उनका रूप कालसा
मुह-बाए दुर्दांत शक्तिया खड़ी सामने
सब कर दी निस्सार-क्षार तुलसी के राम ने
हिन्दू धर्म के रक्षक मानवता के पुजारी
धन्य हो तुलसीदास जयंती आज तुम्हारी
शेशव में अति अशुभ जान पोसा नहीं पाला
भाग्य-भाल बिनु पढ़े दिया था ग़ेह निकाला
दीन निरादर पात्र बने ये हमें स्मरण है
(तत्कालीन) ह्रदय हीन मानव समाज तेरा ह़ाए मरण है
रुद्रावतार हनुमंत्लाल ने ताव देह सवाँरी
धन्य हो तुलसीदास जयंती आज तुम्हारी 
तुम पावन गंगा सम शीतल उज्वल चन्द्र किरण से 
त्जेस्वी देदिम्यमान हो सूर्य किरण से 
नंदन वन में कल्पवृक्ष सम भारत में मानस है 
कौन गिराए हमें मार्ग से किसमे ये साहस है
'मानस' ने मानस में भर दी श्रीराम कथा अति प्यारी
धन्य हो तुलसीदास जयंती आज तुम्हारी
श्री भरत लाल के त्याग ने तेरे अंतर भाव दिखाए
लखनलाल की सेवाए में तेरे ही शुभ दर्शन पाए
रिपु सुदन की मूक साधना में भी तुम हो
श्रीराम के हर्ष-विषाद भाव समता में तुम हो
तेरी गाथा सदा रहे मुद मंगलकारी
श्रीराम जी की गाथा सदा रहे मंगलकारी
"धन्य हो तुलसीदास........... जयंती आज तुम्हारी"

                                                      रचियता
                                    आचर्य पंडित माधव प्रसाद शाश्त्री
                                   भूतपूर्व प्रशाशनिक अधिकारी
                                   देल्ही उच्च न्यालय